Saturday, June 14, 2008

गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा

चाहे लाख करो तुम पूजा तीरथ करो हज़ार

दीं-दुखी को ठुकराया टू सब-कुछ है बेकार

गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा -२

तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा

गरीबों की सुनो ...

भूख लगे टू ये बच्चे आंसू पी कर रह जाते हैं

हाय गरीबों की मजबूरी क्या-क्या ये सह जाते हैं

ये बचपन के दिन हैं घड़ी खेलने की

उमर ये नही ऐसे दुःख झेलने की

तरस खाओ इनपे ई औलाद वालों

उठा लो इन्हें भी गले से लगा लो

उठा लो इन्हें भी गले से लगा लो

मुरझाये न फूल कहीं ये आंधी और बरसात में

गरीबों की सुनो ...

बदकिस्मत बीमार ये बूढा क़दम-क़दम पर गिरता है

फिर भी इन बच्चों की कातिर हाथ पसारे फिरता


कहीं इनका ये साथ न छूट जाए

अनाथों की ये आस भी टूट जाए

कहाँ जायेंगे ये मुक़द्दर के मारे

ये बुझाते दी टिमटिमाते सितारे

ये बुझाते दी टिमटिमाते सितारे

इन बेघर बेचारों की किस्मत है तुम्हारे हाथ में

गरीबों की सुनो ...



रफी साब के आवाज : फ़िल्म ;;दस्लाख



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