Inmemory of Rafi saab..on his birthday
सुहानी रात ढल चुकी,
ना जाने तुम कब आओगे
जहाँ की रुत बदल चुकी,
ना जाने तुम कब आओगे
नजारे अपनी मस्तियां,
दिखा दिखा के सो गए
सितारे अपनी रोशनी
लूटा लूटा के सो गए
हर एक शम्मा जल चुकी,
ना जाने तुम कब आओगे
तड़प रहे हैं हम यहाँ,
तुम्हारे इंतजार मी
फिजा का रंग आ चला हैं
मौसम-ये-बहार मी
हवा भी रुख बदल चुकी,
ना जाने तुम कब आओगे
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