चाँद को क्या मालूम चाहता है उसे कोई चकोर
वो बेचारा दूर से देखे - २
करे न कोई शोर
चाँद को क्या मालूम ...
दूर से देखे और ललचाये
प्यास नज़र की बढ़ती जाये, बढ़ती जाये
बदली क्या जाने है पागल
किसके मन का मोर
चाँद को क्या ...
साथ चले तो साथ निभाना
मेरे साथी भूल ना जाना, भूल ना जाना
मैने तुम्हारे हाथ में दे दी
अपनी जीवन डोर
चाँद को क्या ...
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