दुनिया हँसे हँसती रहे -२
मैं हूँ गँआर मुझे सबसे है प्यार
नगरी-नगरी गाता चल प्यार का राग सुनाता चल
प्यार सनम है प्यार ख़ुदा दुनिया को समझाता चल
सुने ना सुने कोई तेरी पुकार
दुनिया हँसे ...
तुझसे भी प्यार मुझे इनसे भी प्यार
राम से भी प्यार है रहीम से भी प्यार
दुनिया हँसे ...
ना मैं साधू-सन्यासी ना मैं जोगी-वनवासी
घूम के आया गंगा-जमना लेकिन अब तक है प्यासी
तन की ढोलक मन का सितार
दुनिया हँसे ...
कितने ही धनवान मिले धरती के भगवान मिले
एक तमन्ना बाक़ी है इनमें कोई इनसान मिले
जिसको सलाम करूँ सौ-सौ बार
दुनिया हँसे ...
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