Wednesday, December 10, 2008

तू छुपी है कहाँ मैं तडपता यहाँ ...फ़िल्म : नवरंग

आ: आ
म: तू छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तू गया उड़ गया रंग जाने कहाँ
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ

आ: दिल की महफ़िल में जब ना मुझे तुम मिले
साँस लेती हूँ आ के इस सुनसान में
इन बहारों में जब ना तुझे पा सकी -२
तो तड़पती हूँ आ के इस वीरान में
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
म: छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ

आ: ये नज़रें दीवानी तू खोई हुई
तेरे रंगीन सपनों के रंगों में
उमंगों में जब ना तुझे पा सकी -२
ढूँढती हूँ मैं ग़म की तरंगों में
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
म: छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तू छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ

आ: मैं छुपी हूँ पिया तेरी पलकन में
तेरी धड़कन में, तेरी हर साँ में,
तेरी हर आस में
मैं छुपी हूँ कहाँ मेरा ये राज़ सुन
दर्द के हाथों ग़म से भरा साज़ सुन
मेरे रोते हुये दिल की आवाज़ सुन

आ: जब तलक तेरा मेरा न होगा मिलन
मैं ज़मीं आसमाँ को हिलाती रहूँगी
आख़िरी आस तक आख़िरी साँस तक
ख़ुद तड़पूँगी और तड़पाती रहूँगी

म: ये कौन घूँघरू झमका
ये कौन चाँद चमका
ये धरती पे आसमान आ गया पूनम का
ये कौन फूल महका
ये कौन पँछी चहका
महफ़िल में कैसी ख़ुश्बू उड़ी दिल जो मेरा बहका
लो तन में जान आई, होंठों पे तान आई
मेरी चकोरी चाँदनी में कर के स्नान आई
बिछड़ा वो मीत आया, जीवन का गीत आया
दो आत्माओं के मिलन का दिन पुनीत आया
सूरत है मेरे सपनों की तू सोहनी
जमना तू ही है तू ही मेरी मोहनी
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तू छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ

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