Thursday, January 15, 2009

याहू ...चाहे कोई मुझे जंगली कहें ...फ़िल्म : जंगली

याहू -२
चाहे कोई मुझे जंगली कहे
कहने दो जी कहता रहे
हम प्यार के तूफ़ानों से घिरे हैं हम क्या करें -२
चाहे कोई मुझे ...

मेरे सीने में भी दिल है हैं मेरे भी कुछ अरमाँ
मुझे पत्थर तो न समझो मैं हूँ आख़िर इक इन्साँ
राह मेरी वही जिसपे दुनिया चली -२
चाहे कोई मुझे ...

इक मुद्दत से ये तूफ़ाँ मेरे सीने में थे बेचैन
क्या छुपाऊँ क्या छुपा है जब मिलते हैं नैन से नैन -२
सब्र कैसे करूँ क्यूँ किसी से डरूँ -२
चाहे कोई मुझे ...

सर्द आहें कह रही हैं है ये कैसी बला की आग
सोते-सोते ज़िन्दगानी घबरा के उठी है जाग -२
मैं यहाँ से वहाँ जैसे ये आसमाँ -२
चाहे कोई मुझे ...

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