Monday, January 19, 2009

यूँही तुम मुझ से बात करती हो ...फ़िल्म I: सच्चा झूठा

र: यूँही तुम मुझसे बात करती हो
या कोई प्यार का इरादा है
ल: अदाएं दिल की जानता ही नहीं

मेरा हमदम भी कितना सादा है

र: रोज़ आती हो तुम ख़यालों में (२)
ज़िंदगी में भी मेरी आ जाओ
बीत जाए न ये सवालों में
इस जवानी पे कुछ तरस खाओ
ल: हाल-ए-दिल समझो सनम (२)
मुँह से न कहेंगे हम

हमारी भी कोई मर्यादा है, यूँही तुम...

र: बन गई हो मेरी सदा के लिये
या मुझे यूँ ही तुम बनाती हो
ल: कहीं बाहों में न भर लूँ तुमको
क्यों मेरे हौसले बढ़ाती हो
र: हौसले और करो, फ़ासले दूर करो
पास आते न डरो
दिल न तोड़ेंगे अपना वादा है, यूँही तुम...

र: भोलेपन में है वफ़ा की खुशबू
इसपे सब कुछ न क्यूँ लुटाऊँ मैं
ल: मेरा बेताब दिल ये कहता है
तेरे साए से लिपट जाऊँ मैं
र: मुझसे ये मेल तेरा (२)
न हो इक खेल तेरा
ये करम मुझपे कुछ ज़ियादा है, यूँही तुम...

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