Monday, January 19, 2009

ये रातें नई पुरानी ....फ़िल्म : जुली

ये रातें नई पुरानी -२
आते आते-जाते कहती हैं कोई कहानी
ये रातें ...

आ रहा है देखो कोई जा रहा है देखो कोई

सबके दिल हैं जागे-जागे सबकी आँखें खोई-खोई
ख़ामोशी करती है बातें
ये रातें ...

क्या समाँ है जैसे ख़ुश्बू उड़ रही हो कलियों से
गुज़री हो निंदिया में पलकों की गलियों से
सुन्दर सपनों की बारातें
ये रातें ...

कौन जाने कब चलेंगी किस तरफ़ से ये हवाएँ
साल भर तो याद रखना ऐसा न हो भूल जाएँ
इस रात की मुलाकातें
ये रातें ...

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