Wednesday, April 1, 2009

आराम है हराम ..फ़िल्म: अपनाघर

आराम है हराम
तुम देश के कोने-कोने में पहुँचा दो ये पैग़ाम
आराम है हराम ...

देखो पड़े हैं देश में अब तक कितने काम अधूरे
मिलकर हाथ बढ़ाओ तभी हो सकते हैं पूरे
जाओ एक हो जाओ इस देश को स्वर्ग बनाओ
भारत का हो इस दुनिया में सबसे ऊँचा नाम
आराम है हराम ...

जात-पात के बन्धन तोड़ो ऊँच-नीच को छोड़ो

नए समय से नए जगत से अपना नाता जोड़ो
बदला ढंग पुराना है नया ज़माना है
ऐसा करो सवेरा जिसकी कभी न आए शाम
आराम है हराम ...

कभी किसी के आगे न झोली फैलाना
चाहे रूखी-सूखी ही हाथों से कमाकर खाना
यही है आन तुम्हारी यही जान तुम्हारी
जिसमें अपना सर झुकता हो करो न ऐसा काम
आराम है हराम ...

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