Monday, January 28, 2008

चलो एक बार फिर से ...


चलो एक बार फिर से,

अजनबी बन जाये हम दोनों


ना में तुम से कोइ उम्मीद राखु दिलानावाजी की

न तुम मेरी तरफ देखो, गलत अंदाज नजरों से

न मेरे दिल की धड़कन लादाखादाये मेरी बातों से

ना जाहीर हो तुम्हारी कशमकश का राज नजराने से


तुम्हें भी कोइ उलज़ं रोकती हैं पेशाकदामी से

मुजे भी लोग कहते हैं की ये जलवे पराये है

मेरे हमराह भी रुसवाईयाँ हैं मेरे माजी की

तुम्हारे साथ अभी गुज़री हुयी रातों के साए है


तार्रुफ़ रोग हो जाये, टू उसको भूलना अच्छा

ताल्लुक बोज़ बन जाये टू उसे तोड़ना अच्छा

वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना, न हो मुमकीन

उसे एक खूबसूरत मोड़ डे कर भूलना अच्छा

another good one from Mahendra kappor

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