Monday, February 9, 2009

आप से मैंने मेरी जान मुहब्बत की है ...फ़िल्म : ऐ रात फिर न आएगी

रफ़ी: आप से मैंने मेरी जान मुहब्बत की है
आप चाहें तो मेरी जान भी ले सकती है
आप जब है तो मेरे पास मेरा सब कुछ है
जान क्या चीज़ है ईमान भी ले सकती है
आप से मैंने ...

रफ़ी: आप को मैंने मुहब्बत का ख़ुदा समझा है
आप कहिये के मुझे आपने क्या समझा है
ज़िंदगी क्या है मुहब्बत की महेरबानी है
दर्द को मैंने हक़ीक़त में दवा समझा है
आप से मैंने ...

आशा: दिल वो ही है जो सदा गीत वफ़ा के गायें
प्यार करता हो जिसे प्यार ही करता जाये
सैंकड़ों साल के जीने से हैं बहेतर वो घड़ी
हाथ में हाथ हो जब यार का, मौत आ जाये
आप से मैंने मेरी जान मुहब्बत की है
आप चाहें तो मेरी जान भी ले सकतें हैं

आशा: आप जब है तो मेरे पास मेरा सब कुछ है
जान क्या चीज़ है ईमान भी ले सकती है
आप से मैंने ...

रफ़ी: आप जब है तो मेरे पास मेरा सब कुछ है
जान क्या चीज़ है ईमान भी ले सकती है
आप से मैंने ...

No comments: