Wednesday, November 25, 2009

आपके हसीं रुख पे आज नया नूर है :::फ़िल्म: बहारे फ़िर भी आएँगी

आप के हसीं रुख पे आज नया नूर हैं

मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं

आप के निगाह ने कहा तो कुछ जरुर हैं

मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं


खुली लातों की छाँव में खिला खिला ये रूप हैं

घटा से जैसे छान रही, सुबह सुबह की धुप हैं

जिधर नजर मूडी, उधर सुरूर ही सुरूर हैं


जूकी जूकी निगाह में भी हैं बला की शौखियाँ

दबी दबी हँसी में भी तड़प रही हैं बिजलियाँ

शबाब आप का, नशे में ख़ुद ही चूर चूर हैं


जहा जहा पड़े कदम वहा फिजा बदल गयी

के जैसे सरबसर बहार आप ही में ढल गयी

किसी में ये कशिश कहा जो आप में हुजूर हैं

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