Friday, January 4, 2008

अप से हम को ....

आप से हम को बिछडे हुए,
एक ज़माना बीत गया
अपना मुकद्दर बिगड़े हुए,
एक ज़माना बीत
गया

आप से मिल के इन आखों में, कितने ख्वाब सजाये थे
जिस गुलशन में हम ने मिल के गीत वफ़ा के गाए थे
उस गुलशन को उजड़े हुए, एक ज़माना बीत गया

किस्मत हम को ले आयी हैं, गुलशन से वीराने में
आंसू भी नाकाम राहे हैं, दिल की आग बजाने में
इस वीराने में जलाते हुए, एक ज़माना बीत गया

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