Monday, March 17, 2008

चाहत न होती, कुछ भी न होता ..

चाहत नदिया, चाहत साग़र
चाहत धतर्ई, चाहत अंबर
वि: चाहत राधा, चाहत गिरिधर
अ: दिल का धड़कना यही चाहत है
नींद न आना, यही चाहत है
चाहत न होती, कुछ भी न होता -२
मैं भी न होती, तू भी न होता -२
वि: दिल का धड़कना यही चाहत है
नींद न आना, यही चाहत है
चाहत न होती, कुछ भी न होता -२
तू भी न होती, मैं भी न होता -२
अ: तुम मुझसे अलग कब हो, मैं तुमसे जुदा कब हूँ
पानी में कँवल जैसे, रहते हो मुझी में तुम
वि: देखूँ तो तुम्हें देखूँ, सोचूँ तो तुम्हें सोचूँ
साग़र में नदी जैसे, बहते हो मुझी में तुम
अ: चाहत ख़ुशबू, चाहत रंगत
चाहत मूरत, चाहत क़ुदरत
वि: चाहत गंगा, चाहत जमना
अ: होश गँवाना, यही चाहत है
जान से जाना, यही चाहत है
चाहत न होती, कुछ भी न होता
वि: चाहत न होती, कुछ भी न होता
अ: मैं भी न होती, तू भी न होता
वि: तू भी न होती, मैं भी न होता
अ: जब तू नहीं होता है, उस वक़्त भी हर शय में
हर गीत में हर लय में, तू ही नज़र आता है
वि: हाँ बिखरा के कभी ज़ुल्फ़ें, चमका के कभी चेहरा
तुम ही मेरी दुनिया के दिन रात सजाते हो
अ: चाहत घूँघट, चाहत दर्पन
चाहत सजनी, चाहत साजन
वि: चाहत पूजा, चाहत दर्शन
अ: आँख भर आना, यही चाहत है
जी घबराना, यही चाहत है
चाहत न होती, कुछ भी न होता
वि: चाहत न होती, कुछ भी न होता
अ: मैं भी न होती, तू भी न होता
वि: तू भी न होती, मैं भी न होता

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