Thursday, April 17, 2008

धीरे धीरे मचल ऐ दिले बेकरार

धीरे धीरे मचल आये दिला-ये-बेकरार, कोई आता हैं
यूं तड़प के ना तदपा मुजे बार बार, कोई आता हैं


उसके दामन की खुशबू हवाओं में हैं
उसके कदमों की आहात पनाहों में हैं
मुज़ को कराने दे कराने दे सोलह सिंगार


मुज़ को छूने लगी उसकी परछाइयाँ
दिल के नजदीक बजती हैं शहनाईयाँ
मेरे सपनों के आँगन में गाता हैं प्यार

रूठ के पहले जी भर सताऊंगी मैं
जब मनाएंगे वो मन जाऊंगी मैं

दिल पे रहता हैं एसे में कब इख्तियार


A good song from anupama

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