दीवानों से ये मत पूछो,
दीवानों पे क्या गुज़री हैं
हां उन के दिलों से ये पूछो,
अरमानों पे क्या गुज़री हैं
औरों को पिलाते रहते है,
और ख़ुद प्यासे रह जाते हैं
ये पीनेवाले क्या जाने,
पैमानों पे क्या गुज़री हैं
मालिक ने बनाया इंसान को,
इंसान मोहब्बत कर बैठा
वो ऊपर बैठा क्या जाने,
इंसानों पे क्या गुज़री हैं
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