दिल तोड़ ने वालो , तुजे दिल ढूंढ रहा हैं
आवाज डे तू कौनसी नगरी में छूपा हैं
तू हम को जो मिल जाये, टू हाल अपना सुनाये
खुद रोये कभी और कभी तुज़को रुलाये
वो दाग दिखाए जो हमे तूने दिया हैं
आये दिल के सहारे, तुजे दिल ढूंढ रहा हैं
सीने में तेरी याद का तूफ़ान उठा हैं
दिल में टू ये हसरत है, तेरे पास में आओ
नजरों से गिरा हू टू, नजर कैसे मिलाऊ
बदनाम हू, नाकाम हू, क्या मुज़ में रहा है
दिखला के कनारा मुजे मल्लाह ने लूटा
कश्ती भी गयी हाथ से, पतवार भी छूटा
अब और ना जाने मेरी तकदीर में क्या है
बेचैन उधर तू है, टू मजबूर इधर हम
बैठे हैं छुपाये, अश्कों में तेरा गम
हर चोट उभर आयी हैं, हए जख्म हरा हैं
No comments:
Post a Comment