Saturday, April 19, 2008

दिल की आवाज भी सुन ...

दिल की आवाज भी सुन मेरेफसाने पे न जा
मेरी नजरों की तरफ़ देख जमाने पे न जा

ek नजर देख ले, जीने की इजाजत दे दे
रुठानेवाले वो पहली सी मोहब्बत दे दे
इश्क मासूम है, इल्जाम लगाने पे ना जा

वक्त इंसान पे एसा भी कभी आता है
राह में छोड़ के साया भी चला जाता है
मेरी नजरों की तरफ़ देख जमाने पेन ना जा


दिन भी निकलेगा कभी, रात के आने पे ना जा

मई हकीकत हू, ये एक रोज दिखाऊंगा तुजे
बेगुनाही पे मोहब्बत की रुलाऊंगा तुजे
दागा दिल के नहीं मिटते है, मिटाने पे ना जा





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