ओ मेरे बेचैन दिल को चैन तूने दिया
शुक्रिया शुक्रिया ओ शुक्रिया शुक्रिया
ओ तेरा एहसान है जो प्यार तूने किया
शुक्रिया शुक्रिया ...
कभी ख़्वाबों में मैने आ-आ के तेरी नींदें चुराईं रातों में
कभी उलझाया कभी सुलझाया तेरी ज़ुल्फ़ों को मुलाक़ातों में
ओ मेरी ग़ुस्ताख़ियों को तूने माफ़ किया -२
शुक्रिया शुक्रिया ...
हर वक़्त समाई रहती थी मायूसी मेरी निगाहों में
मैं भटक जाता मैं बहक जाता गिर जाता मैं इन राहों में
ओ मेरे साथी मुझे तूने थाम लिया
शुक्रिया शुक्रिया ...
मौजों ने तेरी ही बात की तारों ने तेरा ही नाम लिया
जब गुलशन में हुआ तेरा गुज़र फूलों ने भी दामन थाम लिया -२
ओ तूने जान-ए-जहाँ दिल मुझको दिया
शुक्रिया शुक्रिया ...
No comments:
Post a Comment