धीरे धीरे चल, चाँद गगन में
अरे, धीरे धीरे चल, चाँद गगन में
कहीं ढल ना जाये रात, टूट ना जायें सपने
धीरे धीरे चल, चाँद गगन में
वो क्या चीज़ थी, मिलाके नज़र गिरा दी
हुआ वो असर, के हमने नज़र झुका दी
गुन गुन गूँजे राग, आज पवन में
धीरे धीरे चल चाँद गगन में
दो दिल मिल गये, दिये जल गये हज़ारों
अजी, तुम मिल गये, तो गुल खिल गये हज़ारों
होंगी दो दो बात आज मिलन में
अरे, धीरे धीरे चल चाँद गगन में
No comments:
Post a Comment