र : ये ज़ुल्फ़ कैसी है ज़ंजीर जैसी है
वो कैसी होगी जिसकी तस्वीर ऐसी है
ल : ये आँख कैसी है तीर जैसी है
वो कैसा होगा जिसकी तस्वीर ऐसी है
र : तुम तो मुझे पसंद हो क्या मैं तुम्हें पसंद हूँ
क्या तुम रज़ामंद हो मैं तो रज़ामंद हूँ
बोलो चुप क्यों हो
ल : मैं तुमसे क्या बोलूँ तक़दीर कैसी है
वो कैसा होगा ...
घूँघट निकाल के पिया बैठूँगी मैं तो आज से
देखो न इस तरह मुझे मर जाऊँगी मैं लाज से
र : ये ख़्वाब कैसा है ताबीर कैसी है
वो कैसी होगी ...
No comments:
Post a Comment