याद आयी आधी रात को, कल रात की तौबा
दिल पूछता है झूम के, किस बात की तौबा? तौबा
याद आयी आधी रात को
चाहत में वफ़ा और वो मर मिटने की क़समें
क्या बात है बहके हुए जज़बात की तौबा, तौबा
याद आयी आधी रात को
साक़ि मुझे बतला तो दे, मूँह फेर के मत हँस
पीने में अगर ठीक तो, किस बात की तौबा? तौबा
याद आयी आधी रात को
मरने भी न देंगे मुझे, दुशमन मेरी जाँ के
हर बात पे कहते हैं कि, किस बात की तौबा? तौबा
याद आयी आधी रात को
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