रोकना है अगर रोक लीजे मगर
चाँद छुपने से पहले चली जाऊँगी -२
दूर है मेरा घर मुझको दुनिया का डर
चाँद छुपने से ...
चाँद निकला मगर चाँदनी खो गई
हर तरफ़ हुस्न की रोशनी हो गई
आप चाँद हैं अगर चाँद को देख कर
चाँद छुपने से ...
आप शामिल हैं यूँ मेरी आवाज़ में
जैसे नग़में हों दो एक ही साज़ में
मैं ग़ज़ल छेड़ कर इश्क़ के साज़ पर
चाँद छुपने से ...
बहकी-बहकी निगाहें नहीं होश में
प्यार शरमाए आँखों के आग़ोश में
हँस के सीने पे सर रख तो दूँगी मगर
चाँद छुपने से ...
No comments:
Post a Comment