न मैं भगवान हूँ न मैं शैतान हूँ
दुनिया जो चाहे समझे मैं तो इनसान हूँ
मुझ में भलाई भी मुझ में बुराई भी
लाखों हैं मैल दिल में थोड़ी सफ़ाई भी
थोड़ा सा नेक हूँ थोड़ा बेईमान हूँ
दुनिया जो चाहे समझे मैं तो इनसान हूँ
न कोई राज है न सर पर ताज है
फिर भी हमारे दम से धरती की लाज है
तन का ग़रीब हूँ मन का धनवान हूँ
दुनिया जो चाहे समझे मैं तो इनसान हूँ
जीवन का गीत है सुर में न ताल में
उलझी है सारी दुनिया रोटी के जाल में
कैसा अँधेर है मैं भी हैरान हूँ
दुनिया जो चाहे समझे मैं तो इनसान हूँ
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