छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा
के जैसे मंदिर में लौ दिये की
तुम अपने चरणों में रख लो मुझको
तुम्हारे चरणों का फूल हूँ मैं
मैं सर झुकाए खड़ी हूँ प्रियतम - २
के जैसे मंदिर में लौ दिये की
ये सच है जीना था पाप तुम बिन
ये पाप मैने किया है अब तक
मगर है मन में छवि तुम्हारी - २
के जैसे मंदिर में लौ दिये की
फिर आग बिरहा की मत लगाना
के जलके मैं राख हो चुकी हूँ
ये राख माथे पे मैने रख ली - २
के जैसे मंदिर में लौ दिये की
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