ल : बोल मेरी तक़दीर में क्या है मेरे हमसफ़र अब तो बता
जीवन के दो पहलू हैं हरियाली और रास्ता
मु : कहाँ है मेरे प्यार की मंज़िल तू बतला तुझको है पता
जीवन के दो ...
ल : जहाँ हम आ के पहुँचे हैं वहाँ से लौटकर जाना
नहीं मुमकिन मगर मुश्किल है दुनिया से भी टकराना -२
मु : तेरे लिए हम कुछ भी सहेंगे तेरा दर्द अब दर्द मेरा
जीवन के दो ...
ल : बोल मेरी तक़दीर ...
जहाँ जिस हाल में भी हों रहेंगे हम तुम्हारे ही
नदी सागर से मिलती है नहीं मिलते किनारे ही -२
मु : अपना-अपना है ये मुक़द्दर आज करें हम किससे गिला
जीवन के दो ...
कहाँ है मेरे ...
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