जाने मेरा दिल किसे ढूँढ रहा है इन हरी-भरी वादियों में
कभी न कभी तो टकराएगा दिल दिल से इन्हीं आबादियों में
जाने मेरा दिल ...
ये किसकी लगन मंज़िल-मंज़िल हर रोज़ मुझे ले जाती है
ये किसकी तमन्ना सीने में जो आस के दीप जलाती है -२
ओ जाने मेरा दिल ...
झरनों में नहाती जलपरियाँ क्यों जाने मुझे ललचाती हैं
जंगल की कँवारी कलियाँ भी हँस-हँस के क़यामत ढाती हैं
ओ जाने मेरा दिल ...
जब देखे बिना मदहोश हूँ मैं देखूँगा उसे तो क्या होगा
क्या नूर भरी सूरत होगी क्या प्यार भरा जलवा होगा -२
ओ जाने मेरा दिल ...
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