अमन का फ़रिश्ता कहाँ जा रहा है
चमन रो रहा है मची है दुहाई -२
किया काम ऐसा कि हलचल मचा दी
ये दुनिया जहन्नुम थी जन्नत बना दी
खिंची आ रही है सारी ख़ुदाई
चमन रो रहा ...
बहुत देर जागा था सोया हुआ है
अमन के ख़्यालों में खोया हुआ है
ये कैसी मुहब्बत ये कैसी जुदाई
चमन रो रहा ...
ये जीवन की मंज़िल पे छुटा है हमसे
कोईइ तो मनाओ ये रूठा है हमसे
नज़र मेरे बाबू को किसने लगाई
चमन रो रहा ...
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