दिल अपना और परीत पराई
किस ने हैं ये, रीत बनाई
आंधी में एक दीप जलाया
और पानी में, आग लगाई
है दर्द एसा के सहना हैं मुश्किल
दुनियावालों से कहना हैं मुश्किल
घिर के आया हैं तूफ़ान एसा
बच के साहिल पे रहना हैं मुश्किल
दिल को संभाला ना दामन बचाया
फ़ैली जब आग टैब होश आया
गम के मारे पुकारे किसे हम
हम से बिछादा हमारा ही साया
1 comment:
अच्छी कविता है। हिन्दी में और भी लिखिये।
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