Friday, November 27, 2009

आ गुप चुप गुप चुप प्यार करे ...फ़िल्म : सजा ( 1951 )

गुप चुप गुप चुप प्यार करे

छुप छुप आँखें चार करे -


ओह चार मुसाफिर रात के - क्यूँ सुने हमारी बातें

तुमने तोह देखि होगी आईसी कितनी ही रातें

छुप जा रे जा छुप जा तेरी मिन्नत सौ सौ बार करे

गुप चुप प्यार करे

छुप छुप गुप चुप आँखें चार करे

गुप चुप गुप चुप प्यार करे


छुपाना है तोह जल्दी छुप जा -

रात है थोड़ी बाकी

जाते रहना जाए दोनों मैं और मेरा साखी

छुप जा रे जा छुप जा यु कब तक हम तकरार करे

तेरी मिन्नत सौ सौ बार करे

गुप चुप गुप चुप प्यार करे

छुप छुप आँखें चार करे

गुप चुप गुप चुप प्यार करे


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