Tuesday, November 24, 2009

बेदर्दी बालमा तुज को ...:फ़िल्म: आरजू

बेदर्दी बालमा तुज को, मेरा मन याद करता है

बरसता हैं जो आंखों से, वो सावन याद करता है


कभी हम साथ गुजरे जिन सजीली राहागुजारो से

खिजा के भेस में गिरते है, अब पत्ते चनारों से

ये राहे याद करती है, ये गुलशन याद करता है


कोई जोंका हवा का जब मेरा आँचल उडाता है

गुमान होता हैं जैसे तू मेरा दामन हिलाता है

कभी चूमा था जो तूने, वो दामन याद करता है


वो ही हैं जील के मंजर, वो ही किरणों की बरसाते

जहा हम तुम किया करते थे, पहराने प्यार की बातें

तुजे इस जील का खामोश दर्पण याद करता है

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