ए नर्गिस-ये-मस्ताना, बस इतनी शिकायत हैं
समजा हमे बेगाना, बस इतनी शिकायत हैं
हर राह पर कतराए, हर मोड़ पर घबराए
मुंह फेर लिया हैं तुम ने, हम जब भी नजर आए
हम को नहीं पहचाना, बस इतनी शिकायत है
हो जाते हो मरहूम भी, बन जाते हो हमदम भी
ए साकी-ये-मयखाना, शोला भी हो, शबनम भी
खाली मेरा पैमाना, बस इतनी शिकायत हैं
हर रंग क़यामत हैं, हर ढंग शरारत हैं
दिल तोड़ के चल देना, ये हुस्न की आदत हैं
आता नहीं बहलाना, बस इतनी शिकायत हैं
1 comment:
बढ़िया गाना है :)
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