दिल का दिया, जला के गया,
ये कौन मेरी तनहाई में
सोये नगमी जाग उठे,
होंठों की शहनाई में
प्यार अरमानों का डर खाताकाए
ख्वाब जागे आखो से मिलाने को आए
कितने साए दोल पड़े, सूनी सी अंगदी में
एक ही नजर में निखर गयी मैं तो
आईना जो देखा स्वर गयी मैं तो
तन पे उजाला फ़ैल गया पहली ही अंगदी में
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