दिन ढल जाए, हाय रात ना जाए
तू टू ना आए, तेरी याद सताए
प्यार में जिनके सब जग छोडा, और हुए बदनाम
उनके ही हाथो हाल हुआ ये, बैठे हैं दिल को थाम
अपने कभी थे, अब हैं पराये
एसी ही रिमाजीम एसी पुहारे, एसी ही थी बरसात
ख़ुद से जुदा और जग से पराये, हम दोनों थे साथ
फ़िर से वो सावन अब क्यो ना आए?
दिल के मेरे पास हो इतने, फ़िर भी हो कितनी दूर
तुम मुज़ से, मैं दिल से परेशान दोनों हैं मजबूर
एसे में किस को कौन मनाये?
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