Friday, May 2, 2008

दीवाना हवा बादल सावन की घटा छायी ...i

मेरे फसम्द के गाना
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दीवाना हुआ बादल सावन की घटा छाई

ये देख के दिल जूमा, लियी प्यार ने अंगडाई

एसी तू मेरी तकदीर ना थी

तुम सा जो कोई महबूब मिले

दिल आज खुशी से पागल है

आये जाना-ये-वफ़ा तुम खूब मिले

दिल क्यों ना बने पागल क्या तुमने अदा पायी



जब तुम से नजर टकराई सनम

जजबात का एक तूफ़ान उठा

तिनके की तरह मैं बह निकली

सैलाब मेरे रोके ना रुका

जीवन में मची हलचल और बजाने लगी शहनाई



है आज नए अरमानों से

आबाद मेरे दिल की नगरी

बरसों से खीजा का आलम था

विरान बड़ी दुनिया थी मेरी

हाथों में तेरा आँचल आया के बहार आयी

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