एक अजनबी हसीना से, यूं मुलाक़ात हो गयी
फ़िर क्या हुआ, ये ना पूछो, कुछ एसी बात हो गयी
वो अचानक आ गयी, यूं नजर के सामने
जैसे निकल आया, घटा से चाँद
चहरे पे जुल्फे, बिखरी हुयी थी, दिन में रात हो गयी
जाना-ये-मन जाना-ये-जिगर, होता मैं शायर अगर
कहता गजल तेरी अदाओं पर
मैंने ये कहा टू, मुज़ से खफा वो, जाना-ये-हयात हो गयी
खूबसूरत बात ये, चार पल का साथ ये
सारी उमर मुज़ को रहेगा याद
मई अकेला था मगर, बन गयी वो हमसफ़र, वो मेरे साथ हो गयी
No comments:
Post a Comment