दो हंसो का जोडा बिछड़ गयो रे
गजब भयो रामा, जुलम भयो रे
मोरा सुख चैन भी, जीवन भी मोरा छीन लिया
पापी संसार ने साजन भी मोरा छीन लिया
पीया बीन तदापे जिया, रतिया बिताऊ कैसे
बिरहा की अगनी को असुं से बुजाऊ कैसे
जिया मोरा मुश्किल में पड़ गयो रे
रात की आस गयी, दिन का सहारा भी गया
मोरा सूरज भी गया, मोरा सितारा भी गया
परीत कर के कभी परीतम से ना बिछडे कोई
जैसी उजड़ी हू मई, एसे भी ना उजड़े कोई
बना खेल मोरा बिगड़ गयो रे
जीते जी छोदूंगी सैय्या ना दगारीयाँ तोरी
बीत जायेगी यूं ही सारी उमरीयाँ मोरी
नैनों से होती रहेगी यूं ही बरसात बालम
याद में रोटी रहूँगी तेरी दिनरात बालम
नगर मोरे मन का उजाड़ गयो रे
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