एक बँगला बने न्यारा
रहे कुम्ब जिस में न्यारा
सोने का बँगला, चंदन का जँगला
विश्वकर्मा के द्वारे
अति सुन्दर प्यारा प्यारा
एक बँगला ...
इतना ऊँचा बँगला हो ये
मानो गगन का तारा - ३
जिस पे चढ़ के इंद्रधनुष पर
झूला झूले चाँद हमारा
भंडार होये लछमी के हाथों में सारा
पाए अब जी भर के सुख जिसने बिपत उठाई
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