Monday, May 12, 2008

दुनिया वालोंसे दूर जलानेवालों से दूर

दुनियावालों से दूर, जलानेवालों से दूर

आ जा, आ जा चले कही दूर, कहीदूर , कही दूर

वो प्यार का जहाँ हैं, हर दिल पे मेहरबान हैं

कुछ और वो जमीन हैं, कुछ और आसमान हैं

ना जुल्म का निशाँ हैं, ना गम की दास्ताँ हैं

हर कोई जिस को समाजे, वो प्यार की जुबान हैं



हाथों में हाथ डाले, ख़ुद को बीना संभाले

निकालेंगे हम जिधर से, हो जायेंगे उजाले

चन्दा कहेगा हसकर, सीने पे हाथ रखकर

वो जा रहे हैं देखो, दो प्यार कराने वाले

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