चल उड़ जा रे पंछी,
के अब ये देस हुआ बेगाना
भूल जा अब वो मस्त हवा, वो उड़ना डाली डाली
जग की आँख का काँटा बन गयी चाल तेरी मतवाली
कौन भला उस बांग को पूछे, हो ना जिसका माली
तेरी किस्मत में लिखा है, जीते जी मर जाना
रोते हैं वो पंख पखेरू, साथ तेरे जो खेले
जिनके साथ लगाए तूने अरमानों के मेले
भीगी आखियों से ही उन की आज दुवायें ले ले
किस को पता अब इस नगरी में कब हो तेरा आना
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