Monday, February 11, 2008

भरी दुनिया मी आखिर दिल

भरी दुनिया में आख़िर दिल
को समाजाने कहा जाये
मोहब्बत हो गयी जिनको, वो दीवाने कहा जाये

लगे हैं शम्मा पर पहरे, जमाने की निगाहों के
जिन्हें जलने की हसरत हो, वो दीवाने कहाजाये

सुनाना भी जिन्हें मुश्किल छुपाना भी जिन्हें मुश्किल
ज़रा तूही बता आये दिल वो अफसाने कहा जाये

नजर में उलज़ने दिल में हैं आलम बेकरारी का
समाज में कुछ नहीं आता, वो तुफाने कहा जाये ?


फिल्म : दोबदन 1966

No comments: