छलकाए जाम आईये आप की
आंखों के नाम होंठों के नाम
फूल जैसे तन पे जलवे ये रंग-ओ-बू के
आज जामा-ये-माय उठे इन होंठों को छू के
लाचाकईये शाखा-ये-बदन
महकईये जुल्फों की शाम
आप ही का नाम लेकर पी हैं सभी ने
आप पर धड़क रहे हैं, प्यालों के सीने
यहाँ अजनबी कोई नही,
ये हैं आप की महफ़िल तमाम
कौन हर किसी की बाहें बाहों में दाल ले
जो नजर नशा पिलाए, वो ही संभाल ले
दुनिया को हो औरों की धून
हम को टू हैं साकी से काम
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