दिल पुकारे आ रे, आ रे, आ रे
अभी ना जा मेरे साथी
बरसों बीते दिल पे काबू पाते
हम टू हारे, तुम ही कुछ समजाते
समजाती मैं तुम लाखो अरमां
खो जाते है, लैब तक आते आते
पूछो ना कितनी, बातें पडी है, दिल में हमारे
पा के तुम को हैं कैसी मतवाली
आखे मेरी बीन काजल के काली
जीवन अपना मैं भी रंगी कर लू
मिल जाए जो इन होंठों की लाली
जो भी हैं अपना, लाई हू सब कुछ, पास तुम्हारे
महका महका आँचल हलके हलके
रह जाती हो क्यो पलकों से मॉल के
जैसे सूरज बनाकर आए हो तुम
चल दोगे फ़िर दिन के ढलते ढलते
आज कहो टू मोड़ दू बढ़ के, वक्त के धारे
1 comment:
अरे वाह। हिन्दी में और भी लिखिये।
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