Thursday, November 13, 2008

सपने सुहाने लड़कपन के ...फ़िल्म :बीस साल बाद

सपने सुहाने लड़कपन के, मेरे नैनों में डोले बहार बन के


जब छाये घटा मतवारी, मेरे दिल पे चलाये आरी

घबराए अकेले मनवा, मैं ले के जवानी हारी

कैसे कटे दिन ये उलज़ं के, कोई ला दे जमाने वो बचपन के


जब दूर पपीहा बोले, दिल खाए मेरा हिचाखोले

मई लाज से मर मर जाऊ, जब फूल पे भंवरा डोले

छेदे पवन या तराने मन के, मुजे भाये ना ये रंग जीवन के

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