चल री सजनी, अब क्या सोचे
कजरा ना बह जाए रोते रोते
बाबुल पछताये हाथों को मॉल के
काहे दिया परदेस तूकडे को दिल के
आंसू लिए, सोच रहा दूर खडा रे
ममता का आँचल गुदीयों का कंगना
छोटी बड़ी सखियाँ, घर गली अंगना
टूट गया, छूट गया, छूट गया रे
दुल्हन बन के गोरी खादी है
कोई नहीं अपना, कैसी घड़ी है
कोई यहाँ, कोई वहा, कोई कहा रे
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