Saturday, May 17, 2008

एक बंजारा गाए, जीवन के गीत सुनाए

एक बंजारा गाए, जीवन के गीत सुनाए
हम सब जीनेवालों को जीने की राह बताए

जमानेवालों किताब-ए-गम में खुशी का कोई फसाना ढ़ूंढ़ो
अगर जीना हैं जमाने में तो हसीं का कोई बहाना ढ़ूंढ़ो
आँखों में आँसू भी आए, तो आकर मुस्काए

सभी का देखो नही होता हैं, नसिबा रोशन सितारों जैसा
सयाना वो हैं जो पतझड में भी सजा ले गुलशन बहरों जैसा
कागज के फूलों को भी जो महकाकर दिखलाए

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