Thursday, May 22, 2008

ऐ दिल और उनकी निगाहों के साए

ये दिल और उन की निगाहों के साए

मुजे घेर लेते हैं बाहों के साए

पहाडों को चंचल किरण चूमती है

हवा हर नदी का बदन चूमती है

यहाँ से वहा तक, हैं चाहूं के साए

लिपटते ये पदों से बादल घनेरे

ये पल पल उजाले, ये पल पल अंधेरे

बहोत ठंडे ठंडे, हैं राहों के साए

धड़कते हैं दिल कितनी आज़ादीयों से

बहोत मिलते जुलते हैं इन वादियों से

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