Tuesday, September 2, 2008

मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे ..फ़िल्म: आए दिन बहार के

मेरे दिल से सितमगर तू ने अच्छी दिल्लगी की है

के बन के दोस्त अपने दोस्तों से दुश्मनी की है

मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे

मुजे गम देनेवाली तू खुशी को तरसे

तू फूल बने पताजाद का, तुज पे बहार ना आए कभी

मेरी ही तरह तू तडपे, तुज को करार ना आए कभी

जिए तू इस तरह के जिंदगी को तरसे

इतना तो असर कर जाए, मेरी वफायें, ओ बेवफा

एक रोज तुजे याद आए, अपनी जफ़ायें, ओ बेवफा

पशेमान हो के रोये, तू हँसी को तरसे

तेरे गुलशन से ज्यादा, वीरान कोई विराना ना हो

इस दुनिया में कोई तेरा अपना तो क्या, बेगाना ना हो

किसी का प्यार क्या तू, बेरुखी को तरसे

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