Wednesday, September 3, 2008

मेरे सामने वाली खिड़की में ..फ़िल्म :पडोसन

मेरे सामने वाली खिड़की में,

एक चाँद सा मुखडा रहता हैं

अफसोस ये है, के वो हम से

कुछ उखडा उखडा रहता हैं

जिस रोज से देखा ही उस को,

हम शमा जलाना भूल गए

दिल थाम के एसे बैठे है,

कही आना जाना भूल गए

अब आठ पहर इन आँखों में,

वो चंचल मुखडा रहता हैं

बरसात भी आकर चली गयी,

बादल भी गरज कर बरस गए

पर उस की एक जालक को हम

ए हुस्न के मालिक तरस गए

कब प्यास बुज़गाई आंखों की,

दिनरात ये दुखडा रहता हैं





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