Monday, September 22, 2008

ओ दूर के मुसाफिर ...फ़िल्म : उड़न कठोला

ओ दूर के मुसाफिर, हम को भी साथ ले ले रे

हम को भी साथ ले ले, हम रह गए अकेले



तूने वो दे दिया गम बेमौत मर गए हम

दिल उठ गया जहाँ से, ले चल हमे यहाँ से

किस काम की ये दुनिया, जो जिंदगी से खेले



सूनी हैं दिल की राहें, खामोश हैं निगाहें

नाकाम हसरतों का, उठाने को हैं जनाजा

चारों तरफ़ लगे है, बरबादीयों के मेले

No comments: